About sidh kunjika
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Blog Article
Those that go through Devi Mahatmya without the need of this prayer of Kunjika will likely not reach the forest of perfection as they may weep alone without any just one to protect or shield them.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ॐ ऐं बीजं, ॐ ह्रीं शक्तिः, ॐ क्लीं कीलकम्,
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
ओं ग्लौं हुं click here क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ।